सौर-मंडल, हमारा घर

हम अपनी आकाशगंगा के एक शांतिपूर्ण हिस्से में रहते हैं. हमारा सूरज, हमारी आकाशगंगा “मिल्की वे” के लगभग १ अरब से भी ज्यादा तारों में से एक, एक मध्यम वर्ग का तारा है. जो की लगभग 2 लाख km/h की गति से आकाश गंगा का चक्कर लगा रहा है. और लगभग 25 करोड़ सालो में एक चक्कर पूरा करता है.

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सौर-मंडल, हमारा घर
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हमारे सौर-मंडल में कुल ८ गृह हैं. जिनको 2 भागों में बांटा जा सकता है, चार आतंरिक पथरीले गृह और ४ बाहरी गैस जायंट.

सूर्य के सबसे पास का गृह है Mercury यानि बुध. यह सौर मंडल का सबसे छोटा गृह है. इसका आकर बृहस्पति के एक चंद्रमा गेनीमेड से भी छोटा है.  बुध गृह का एक दिन, उसके एक साल से भी बड़ा होता है. इसलिए यहाँ के तापमान में भी बहुत ज्यादा अंतर रहता है. बुध गृह के पास कोई उपग्रह नहीं है.

इसके बाद है Venus यानि शुक्र. यह सौर-मंडल का सबसे गर्म गृह है. आकार में यह लगभग प्रथ्वी के बराबर ही है. माना जाता है की यह ग्रह एक समय काफी हद तक पृथ्वी के जैसा रहा होगा. पर यहाँ पर ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट के काबू से बहार हो जाने के कारण इस गृह का तापमान कभी 400 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रहता. इसे शाम और सुबह का तारा भी कहते है. शुक्र के पास भी कोई चंद्रमा नहीं है.

सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है हमारी प्रथ्वी, बुध और शुक्र के बाद यह तीसरे नंबर का गृह है. अब तक की हमारी जानकारी के अनुसार यह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा गृह है जिसमे पानी अपनी तरल अवस्था में रह सकता है। पृथ्वी का करीब ७० प्रतिशत हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. और हमारी जानकारी के हिसाब से जीवन भी सिर्फ यहीं संभव है। पृथ्वी का अपना एक चंद्रमा है.

प्रथ्वी के बाद है Mars यानि मंगल गृह. यह आकर में प्रथ्वी से छोटा है. यह सौर-मंडल का दूसरा सबसे छोटा गृह है. मंगल गृह का वायुमंडल बहुत ही विरल और कम है. इस गृह का एक ज्वालामुखी पर्वत “ओलम्पस मोंस” जो कि सौर-मंडल का सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई माउंट एवेरेस्ट से तीन गुना से भी ज्यादा लगभग 26KM है. मंगल गृह के 2 उपग्रह हैं.

Jupitar यानि ब्रहस्पति सौर-मंडल का सबसे बड़ा गृह है. कितना बड़ा ? इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि, अगर बाकि सारे ग्रहों को मिला दें तब भी ब्रहस्पति का आकार 2.5 गुना ज्यादा होगा. ब्रहस्पति का आकार लगभग 1321.3 पृथ्वीयों के बराबर है. यह गृह मुख्यत: हाइड्रोजन और हीलियम से मिल कर बना है. इस गृह में सदियों से जारी एक तूफ़ान “द ग्रेट रेड स्पॉट” सन 1830 में में देखा गया था, तब से यह आज तक जारी है. कई लोगो का मनना है की जो तूफ़ान सन 1665 में देखा गया था वो भी यही था. अगर ये सच है तो यह तूफ़ान कम से कम 350 सालों से लगातार जारी है. यह तूफ़ान प्रथ्वी के आकार से लगभग ३ गुना बड़ा है. ब्रहस्पति के 67 उपग्रह हैं.

सूर्य से 6वें नंबर पर है Saturn यानि शनि गृह. यह सौर-मंडल का दूसरा सबसे बड़ा गृह है. पर द्रव्यमान घनत्व में बाकि सब ग्रहों से कम है. अगर आप एक पर्याप्त बड़े पानी के तालाब में शनि को रखें तो शनि उसमे तैरेगा, डूबेगा नहीं. शनि के रिंग सिस्टम के कारण इसे सौर-मंडल सबसे सुन्दर गृह कहा जा सकता है. शनि के 62 चन्द्रमा है, टाइटन भी उनमे से एक है.

Uranus यानि अरुण गृह सौर-मंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह और सौरमंडल के सबसे ठन्डे ग्रहों में से एक है. और सभी गैस जायंटस में सबसे छोटा भी है. इस गृह का अक्षीय झुकाव 97.77 डिग्री है, इस ग्रह की अपने अक्ष पर घूमने की धूरी सौरमंडल तल के साथ करीब करीब समानांतर है। इस गृह के २७ उपग्रह हैं.

सौर-मंडल का आखरी गृह है Neptune यानि वरुण गृह. यह गृह काफी हद तक Uranus के सामान ही है. यह गृह सूर्य से इतना दूर है की इस गृह का एक साल प्रथ्वी के लगभग 164 सालों के बराबर है. इस गृह के एक तूफ़ान की गति, जो कि लगभग 2,100 km/h थी, अब तक मापी गयी सबसे तेज़ वायु गति है. इस गृह के अपने १४ उपग्रह हैं.

अगर हम सभी ग्रहों के आकर की तुलना करें तो अंतर और साफ़ हो जाता है. ब्रहस्पति आकर और वजन में सबसे बड़ा है. जबकि बुध, ब्रहस्पति के एक उपग्रह गेनेमेड से भी छोटा. ब्रहस्पति इतना बड़ा है की ग्रहों के कुल द्रव्यमान का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा ब्रहस्पति का है. और इसका अपने आस-पास के ग्रहों पर काफी असर होता है. ये प्रथ्वी और हमारे लिए वरदान से कम नहीं है. क्योकि ब्रहस्पति ज़्यादातर खतरनाक एस्टेरोइडस को अपनी ओर खीच लेता है, जिनके पृथ्वी से टकराने पर प्रथ्वी से जीवन का नामो निशान मिट सकता है।

पर सूर्य की तुलना में ब्रहास्पति भी बौना लगता है. सूर्य को विशाल कहना भी काम होगा. सौर-मंडल के द्रव्यमान का 99.86% हिस्सा सूर्य ही है. सूर्य का ज़्यादातर हिस्सा हाइड्रोजन और हीलियम से मिलकर बना है. इसमें 2 प्रतिशत से भी कम मात्र में भरी तत्व जैसे ऑक्सीजन और आयरन हैं. सूर्य के केंद्र में प्रति सेकंड लगभग 620 मिलियन टन हाइड्रोजन फ्यूज होती है. और इतनी उर्जा निकलती है की मानव जाती की सालों की उर्जा ज़रूरत को एक पल में पूरा कर दे.

ग्रहों के आलावा करोड़ों एस्टेरोइड और कोमेट्स भी हमारे सौर-मंडल का हिस्सा हैं. और ये भी सूर्य का चक्कर लटते हैं. ये मुख्यत: 2 बेल्टों में पाए जाते हैं. एक एस्टेरोइड बेल्ट जो की ब्रहस्पति और मंगल के बीच में है. और दूसरी neptune ग्रह के बाद  की बेल्ट जिसे काईपर बेल्ट कहते हैं. इन पट्टियों में पाए जाने वाले ऑब्जेक्ट्स कंकड़ के आकर से लेकर बौने गृह तक के आकर के होते है. इनमे से प्लूटो, मेकमेक और हमेया काईपर बेल्ट में और सेरेस एस्टेरोइड बेल्ट में स्थित हैं.

एक दिन हमारा सूर्य भी ख़तम हो जायेगा और सौर-माडल वर्तमान जैसा नहीं रहेगा. लगभग 50 करोड़ साल में सूर्य और गर्म होता जायेगा होता जायेगा और एक समय यह प्रथ्वी की सतह को पिघला देगा, साथ ही सूर्य का आकार भी इतना बढ़ जायेगा की ये बुध और शुक्र के साथ साथ शायद पृथ्वी को भी निगल लेगा या कम से कम पृथ्वी को पिघले लावा के समुद्र में तो बदल ही देगा. फिर जब सूर्य का ज़्यादातर इंधन जल चुका होगा तो यह सिकुड़ कर वाइट ड्वार्फ यानि "सफेद बौने तारे" में बदल जायेगा और कुछ अरब सालों तक ऐसे ही जलेगा। फिर एक दिन सब ख़तम हो जायेगा और सौर मंडल में जीवन असंभव हो जायेगा. हमारी आकाश गंगा “मिल्की वे” को तो खबर भी न लगेगी, बस शायद इसकी एक भुजा का कोई हिस्सा हल्का सा धीमा पड़ जायेगा। और हम इन्सान या तो काफी पहले खत्म हो चुके होंगे. या फिर सौर-मंडल छोड़ किसी दूसरे सौर-मंडल में जा बसे होंगे.