हृदय भी अन्य मांसपेशियों की तरह ही है. इसे भी काम करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जो की हार्ट-अटैक के दौरान उसे पर्याप्त मात्र में मिल नहीं पाती. हृदय को रक्त पहुचाने वाली coronary arteries यानि कोरोनरी धमनियों में फैट जमा होते होते उन्हें संकरा कर देता है,उम्र बढ़ने के साथ साथ इस फैट का भण्डार बढ़ता जाता है. जिससे रक्त की आपूर्ति में कमी आती जाती है. जिससे ऑक्सीजन युक्त रक्त, हृदय तक नहीं पहुँच पता.
धमनियों में जमा हुआ यह फैट, टूटता रहता है, और जहाँ भी यह टूटता है वहां मिनटों में रक्त का थक्का जमना शुरू हो जाता है, और कभी कभी यह थक्का, धमनियों को ब्लाक कर देता है और रक्त का प्रवाह रुक जाता है. रक्त कर प्रवाह रुकते ही, हृदय की कोशिकाओं को ओक्सीजन मिलना बंद हो जाती है. और मिनटों में वो मरने लगती हैं, इसे मायोकार्डीअल इन्फर्कशन या हार्ट-अटैक कहते हैं.
ट्रीटमेंट के आभाव में स्थिति तेज़ी से ख़राब होने लगती है. हृदय का ज़ख़्मी हिसा पूरी शक्ति से रक्त को पंप नहीं कर पता. और हृदय के धड़कने की गति और रिदम में भी गड़बड़ी होने लगती है. बुरी स्थिति में हार्ट-अटैक से तुरंन्त मृतु भी हो सकती है.
हमें कैसे पता चलेगा की आप को या आपके आसपास किसी व्यक्ति हो हार्ट-अटैक हो रहा है?
सबसे सामान्य लक्षण है, छाती में जोर कर दर्द. जो कोशिकाओं के मरने के कारण हृदय की मांस्पेशियो में होता है. अक्सर लोग इसे बेहद दर्दनाक बताते हैं. यह दर्द बायीं भुजा, जबड़े, कमर और पेट में भी तेज़ी से फ़ैल सकता है.
पर हमेशा हार्ट-अटैक अचानक और नाटकीय नहीं होता, जैसा की फ़िल्मो में दिखाते हैं.
कुछ लोग मिथली या उलटी आना और सांस लेने में तकलीफ महसूस करते हैं. बुजुर्गों और औरतों में लक्षण और भी कम दिखाई दे सकते हैं. उनके लिए कमजोरी और थकान ही मुख्य संकेत हो सकते हैं. और तो और, ऐसे लोग जिन्हें मधुमेह है, उनकी दर्द के संकेत पहुचने वाली नर्व्स छति-ग्रस्त हो जाती है. ऐसे लोगों में तो हार्ट-अटैक बिना किसी दर्द के भी हो सकता है.
अगर आपको लगता है की किसी को हार्ट-अटैक हो रहा है. तो सबसे ज़रूरी काम है जल्द से जल्द मदद करें. अगर आपके पास किसी हॉस्पिटल का नंबर है तो जल्द से जल्द कॉल करें और प्रथम-उपचार उपलब्ध कराएँ और जितनी जल्दी हो सके व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुचाएं.
प्रथम उपचार के और पर अस्प्रिन मरीज़ को दे सकते हैं. अस्प्रिन, रक्त को पतला कर देती है जिससे रक्त के बहाव में आसानी होती है. साथ ही नाइट्रो-ग्लिसरीन भी दे सकते हैं, जो धमनियों को चौड़ा करने में सहायक है. यह हार्ट-अटैक को कुछ देर के लिए और बिगड़ने से रोक सकती हैं जिससे मरीज़ को हॉस्पिटल तक ले जाने का कीमती समय मिल सकता है.
हॉस्पिटल पहुचते ही डॉक्टर्स हार्ट-अटैक का पता लगा सकते हैं. सामान्य रूप से वे ECG (इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राम) के द्वारा हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधिओं को नाप कर और कुछ ब्लड टेस्ट के ज़रिये हृदय की मांसपेशिओं के नुक्सान का पता लगा कर यह निश्चित करते हैं की व्यक्ति को हार्ट अटैक हो रहा है या नहीं.
मरीज फिर एक हाई-टेक कमरे में ले जाया जाता है, जहाँ टेस्ट किये जाते हैं और पता लगाया जाता है की धमनियां कहा कहा ब्लाक हुई हैं.
कार्डियोलोजिस्ट (हृदय विशेषज्ञ) ब्लाक धमनी के अन्दर गुबारे को भुला कर ब्लाक को खोल सकते हैं. इस प्रक्रिया को एनजीओप्लास्टी कहते हैं. अक्सर वो एक धातु या पोलिमर की जाली वाला पाइप भी ब्लाक वाले स्थान पे लगा देते हैं जो धमनी को पुनः ब्लाक होने से रोकता है. अति घटक हार्ट ब्लॉक्स को ठीक करने के लिए कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है. जिसे शरीर के किसी अन्य हिस्से की धमनी को काट कर हृदय के क्षतिग्रस्त हिस्से में रक्त पहुचने के लिए जोड़ दिया जाता है.
यह प्रक्रियायें हृदय में रक्त का प्रवाह फिर से प्रारंभ कर देती हैं.
हृदय रोग निवारण प्रगति पर है. पर इलाज से बेहतर तो हमेशा बचाव ही होता है. तो आखिर कैसे अपने हृदय को आप स्वस्थ रख सकते हैं?
पैत्रिक जींस और जीवनशैली दोनों इसपर बहुत बड़ा असर डालते हैं. फिलहाल जींस का तो हम कुछ नहीं कर सकते पर अच्छी खबर यह है कि आप अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर के हार्ट अटैक की संभवना को काफी कम कर सकते हैं सकता है.
कसरत, पौष्टिक भोजन और मोटापा कम करना, ये सब हार्ट-अटैक आने के खतरे को कम कर देते हैं चाहे आपको पहले हार्ट-अटैक हुआ हो या नहीं. डॉक्टर्स हफ्ते में कम से कम 3 दिन व्यायाम की सलाह देते हैं. जिनमे एरोबिक्स और वज़न उठाना दोनों शामिल हैं.
शक्कर, और फैट वाला भोजन लेना हृदय के लिए अच्छा नहीं होता. इनसे ही ह्रदय रोग होने की सम्भावना और बढ़ जाती है.
तो फिर हम क्या क्या खा सकते हैं?
फल, और फाइबर से भरी हुई सब्जियां, लाल मांस के स्थान पर मछली और चिकन, साबुत अनाज और ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम और अखरोट. ये सभी फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं.
अच्छी खुराक और व्यायाम आपके वजन को भी कंट्रोल में रख सकता है. जिससे ह्रदय रोगों की सम्भावना और कम हो जाती है. और हाँ दवायें भी हार्ट अटैक की रोक थम में मदद करती हैं. अगर आपको पहले हार्ट-अटैक आ चुका है तो अपनी दवाई समय पर लें.
हार्ट-अटैक सामान्य हो सकते हैं पर ज़रूरी नहीं की इससे बचा नहीं जा सकता.
अच्छा भोजन, तम्बाकू से दूरी, व्यायाम, अच्छी नींद और खूब सारी हंसी… यह सब हार्ट-अटैक के खतरे को कम करते हैं और सुनिश्चित करते हैं की आपके शरीर की सबसे महत्वपूर्ण मांसपेशी धड़कती रहे.
नोट: यह आर्टिकल एक टेड-टॉक से प्रेरित है.