गुरुत्वाकर्षण पदार्थ का एक गुण है. कोई भी वस्तु जिसमे द्रव्यमान है, उसमे गुरुत्वाकर्षण बल होगा. धरती, चंद्रमा, शनि, सूर्य और आप और आपकी बिल्ली. सब में गुरुत्वाकर्षण बल होता है.
अगर आप किसी व्यक्ति से 0.75 मिलीमीटर की दूरी पर खड़े हों तो आप दोनों एक-दूसरे को उतने ही गुरुत्वाकर्षण बल से आकर्षित करोगे जितना की सूर्य 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी से आपको आकर्षित करता है.
ये बात और है की आपको न तो सूर्य का गुरुत्वाकर्षण महसूस होता है और न ही आपके पास खड़े व्यक्ति का. और इसका कारण है हमारी विशाल पृथ्वी.
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा है की हमें 15 करोड़ किलोमीटर दूर के अपने सूर्य का विशाल गुरुत्वाकर्षण बल महसूस ही नहीं होता. और वो इसलिए क्योंकि दूरी बढ़ने के साथ साथ बल कम होता जाता है.
ज़रा सोचिए इतने कम गुरुत्वाकर्षण बल के बाद भी सूर्य पृथ्वी और अन्य ग्रहों को अपनी और खींच कर अपनी कक्षा में रखता है. किंतु हमें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के सामने सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल महसूस ही नहीं होता. सूर्य हो, या न हो.
क्या होगा अगर हमारा सूर्य अचानक ग़ायब हो जाए?
पहली बात ऐसा होना नामुमकिन ही है। अगर आप इस उम्मीद से यह लेख पढ़ रहे थे कि सूर्य अचानक से ग़ायब हो जायेगा, तो अफ़सोस... ऐसा होने वाला नहीं है.
हाँ.. अरबों सालों बाद एक दिन आयेगा जब सूर्य और गर्म और बड़ा होकर पृथ्वी को निगल लेगा या पिघला देगा. पर सूर्य पृथ्वी से पहले तो ख़तम होने वाला नहीं है.
पर फिर भी अब आप इतना लेख पढ़ चुके हैं और मैं आपको नाराज़ नहीं करना चाहता तो मनोरंजन के लिए मान लेते हैं की सूर्य अचानक से ग़ायब हो गया.
अब बिना सूर्य की पृथ्वी पर इसका क्या असर होगा?
यहाँ अभी दोपहर के 2 बज रहे हैं, अगर सूर्य अभी के अभी अचानक से ग़ायब हो भी जाता है तो हमें अभी इस बात की कोई खबर नहीं लगेगी. क्योंकि सूर्य की रौशनी को हम तक पहुचने में लगभग साढ़े आठ मिनट लगते हैं. इसलिए साढ़े आठ मिनट तक तो सूर्य हमें दिखता रहेगा.
जैसे ही साढ़े आठ मिनट गुज़रे, अचानक से रात हो जाएगी, ऐसी रात जिसकी सुबह ही नहीं होने वाली. पूरी दुनिया में हाहाकार मच जायेगा समझ नहीं आएगा की क्या हुआ.
गुरुत्वाकर्षण तरंगें भी रौशनी की रफ़्तार से ही चलती हैं. इसलिए सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का असर भी सूर्य के ग़ायब होने के साढ़े आठ मिनट तक रहेगा. और जैसे ही सूर्य की रौशनी आना ख़तम होगी, वैसे ही गुरुत्वाकर्षण बल का असर भी ख़तम हो जायेगा और पृथ्वी, अपनी कक्षा से गुलेल के जैसे सीधी दिशा में सौर मंडल के बाहर की तरफ लगभग 30 किमी प्रति सेकंड की गति से जाने लगेगी।
इस समय आकाश में तारे दिखाई देने लगेंगे और जो ग्रह पृथ्वी के बाद आते है वह भी तब तक दिखाई देंगे जब तक कि सूर्य की आखिरी किरण उन तक और फिर उनके द्वारा परावर्तित आखिरी किरण हम तक न पहुँच जाए। उदाहरण के लिये बृहस्पति, सूर्य के ग़ायब होने के आधे घंटे से एक घंटे तक पृथ्वी से दिखाई देता रहेगा।
तारों की रोशनी मात्र इतनी होगी कि हम अपने आस पास की चीज़ों को नाम मात्र के लिये देख सकें। हालांकि हम इंसानों को शुरुआत में सूर्य के न होने का इतना फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि हम कुछ समय तक अपनी ऊर्जा की ज़रूरत को बचे हुए जीवाश्म ईंधन और बिजली के ज़रिए पूरा कर लेंगे।
सूर्य के ग़ायब होने का सबसे भयानक असर पड़ेगा पेड़-पौधों पर। अधिकतर पेड़ पौधे तो एक दो हफ्ते में ही मर जायेंगे क्योंकि पेड़, प्रकाश संश्लेषण से अपना भोजन बनाते हैं और अब जब सूर्य ही नही है तो यह प्रक्रिया भी रुक जाएगी। हालाँकि जो विशाल पेड़ हैं वो करीब एक साल तक की अपनी ज़रूरत का भोजन बचा कर रख सकते हैं इसलिए वो सूर्य के बिना भी करीब एक साल तक जिंदा रह सकते हैं पर उनकी समस्या होगी पृथ्वी का तेज़ी से गिरता तापमान. यह बड़े विशाल वृक्ष भूख से नहीं बल्कि ठंड से मर जायेंगे क्योंकि इसने अंदर बहता पानी जम जायेगा.
सूर्य के होते हुए पृथ्वी के गरम और ठन्डे सारे हिस्सों का एवरेज तापमान लगभग 14-15 डिग्री सेल्सियस रहता है. सूर्य के गायब होने के एक हफ्ते में ही यह गिर कर 0 डिग्री सेल्सियस रह जायेगा. घबराहट और आतंक को छोड़ दें तो हम कुछ महीने तो जिंदा रह लेंगे. पर 1 साल ख़तम होते होते सूर्य के बिना पृथ्वी का एवरेज तापमान लगभग -73 डिग्री सेल्सियस तक गिर जायेगा. इस समय सबसे अच्छा उपाय तो यही होगा कि हम किसी भू-तापीय स्थान जैसे आइसलैंड या ज्वालामुखी के पास चले जाएँ यही कुछ जगह ऐसी होंगी जहाँ इंसानों के जिंदा रहने लायक तापमान होगा.
अभी के लिए इतना ही अगले लेख में इसके आगे की स्थिति को समझने की कोशिश करेंगे!